गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

राम गोपाल मथुरिया

नव वर्ष

नये वर्ष के स्वागत में कवि नूतन राग सुनाओ

विश्व-विषमता के आगन में समता रस बरसाओ

बहुत गा चुके गीत आज तक चाँद ,सितारों के

ऊषा संध्या रजनी ,सूरज के झूठे प्यारों के

पावस में उगते इंद्रधनु के सतरंगी तारों के

बहुत सुने संगीत सावनी मेघ मल्हारों के

युग युग से पीड़ित मानव को अब कविता का विषय बनाओ

नये वर्ष के स्वागत ....................

रचते रहे तुम सदा से उपवन की बहारों के

कलियों पर मंडराते अलियों के मद मस्त नजारों के

जूही,कुमोदनी ,मालती ,चम्पागंधा के इशारों के

कोयल,चातक के म्रदु स्वर मोरों की पुकारों के

सदा उपेक्षित काँटों में जीवन रस फैलाओ

नये वर्ष के स्वागत ................

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1 टिप्पणी:

  1. बहुत गा चुके गीत आज तक चाँद ,सितारों के
    ऊषा संध्या रजनी ,सूरज के झूठे प्यारों के
    युग युग से पीड़ित मानव को अब कविता का विषय बनाओ

    वाह
    बहुत सुन्दर रचना
    अच्छा लगा पढना
    आभार
    शुभ कामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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