रविवार, 22 सितंबर 2013

 मैं इस वक्त, बेवक्त हूं
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मैं इस वक्त, बेवक्त हूं
हूं तो पढा—लिखा
पर जाहिल और जलील हूं
क्योंकि बीच बाजार खडा हूं

यहां रिश्ते भी तिजारत है
इसलिए बेवक्त हूं
मेरी परेशानी यह है
मेरे पास दो चहरे नहीं है
दूसरा चेहरा कहां से लाउं
और किससे लाउं
जो दुनिया को पसंद आए
मेरे विचार भी समय से मेल नहीं खाते
कैसे गुजारा हो इस दुनिया में
जीना चाहता हूं
मौत का भय भी नहीं है
जीना चाहता जुल्मों की इंतहा के तक
कम से कम मौत को मुझ से मोहब्बत हो जाए
और मर सकूं मौत का सिकदंर बनकर


बुधवार, 28 अगस्त 2013



बुधवार, 10 जुलाई 2013










9 जुलाई 2013 को आगरा में कल्पतरु एक्सप्रेस द्वारा आयोजित मीडिया विमर्श श्रृंखला के तहत 'आउटलुक' हिन्दी पत्रिका के संपादक नीलाभ मिश्र के साथ कल्पतरु एक्सप्रेस के समूह संपादक पंकज सिंह और कार्यकारी संपादक अरुण कुमार त्रिपाठी.........

रविवार, 2 जून 2013

मीडिया विमर्श में ​जाने माने कवि, लेखक और वरिष्ठ पत्रकार श्री विष्णु नागर के साथ कल्पतरु एक्सप्रेस के समूह संपादक श्री पंकज सिंह, कार्यकारी संपादक श्री अरुण कुमार​ त्रिपाठी और कल्पतरु एक्सप्रेस के साथी....
मीडिया विमर्श में व्याख्यान सुनते कल्पतरु एक्सप्रेस के पत्रकार साथी...
कल्पतरु एक्सप्रेस द्वारा आयोजित मीडिया विमर्श व्याख्यानकर्ता देशबन्धु अखबार के समूह संपादक श्री राजीव रंजन श्रीवास्तव को स्मति चिन्ह भेंट करते हुए साथ में खडे है कल्पतरु एक्सप्रेस के समूह संपादक श्री पंकज सिंह और कार्यकारी संपादक ​श्री अरुण कुमार​ त्रिपाठी...




शुक्रवार, 1 मार्च 2013


रविवार, 24 फ़रवरी 2013


शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013


सोमवार, 18 फ़रवरी 2013


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