शनिवार, 13 नवंबर 2010

विवेक दत्त मथुरिया जब सारा देश दीपावली मना रहा है, इसकी रौनक और चकाचौंध चारों तरफ फैली हुई है,तब कम ही लोग जानते हैं कि मूलत: ब्रज के रहने वाले इस पर्व को नहीं मनाते। ब्रज की हर परंपरा,खुशी और खामोशी का संबंध अनिवार्यत:यहां के परम प्यारे श्रीकृष्ण से है। दीपावली न मनाए जाने के पीछे भी वही हैं। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि दीपावली के दिन ही योगेश्वर श्रीकृष्ण ने गोलोक गमन किया था। शास्त्रों में वर्णन है कि योगी के देहत्यागने पर शोक नहीं मनाया जाता,...
-विवेक दत्त मथुरिया बचपन जीवन की सबसे स्वर्णिम अवस्था का नाम है। जाति-पांति, दीन-ईमान, अमीरी-गरीबी आदि की भावना से मुक्त। उसके दोस्त न हिंदू होते हैं, न मुसलमान। बस..दोस्त होते हैं। वे मंदिर-मस्जिद के विवाद से भी परे होते हैं। उनकी सबसे अनमोल थाती कांच की चूड़ियों के टुकड़े, ताश की गड्डी के पत्ते, कागज की पतंगें, कंचे, घिस कर चपटे किये गये पत्थर या ईंट के टुकड़े होते हैं। बचपन का यथार्थ चित्रण करते हुए प्रख्यात शायर स्व. सुरर्शन फाकिर ने कहा है कि ‘न...

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