अब तक सुना था कि विद्या विनय सिखाती है। लेकिन मौजूदा समय में यह बात पलट चुकी है। आज की विद्या भ्रष्ट बनाती है। ऐसे प्रमाणों से रोज अखबार भरे रहते है। देश में जितने भी बड़े घोटाले अब तक हुए है , उन सब में उच्च शिक्षा प्राप्त लोगो का ही बोलबाला देखा और पाया गया है। नौकरशाही का भ्रष्ट चरित्र किसी से छुपा नहीं है। भ्रष्ट नौकरशाही के आगे समूची व्यवस्था नतमस्तक है। अपने को आला दर्जे का शिक्षित और समाज व् व्यवस्था का मसीहा कहने वाले पत्रकार भी भ्रष्टाचार की बहती गंगा में हाथ धोने से अब पीछे नहीं रहते। अब बात करें डॉक्टरों की तो यह वर्ग भी समाज में अपना सम्मान को चुका है। अब डॉक्टरों की नजर मर्ज पर नहीं मरीज की जेब पर रहती है। आज डॉक्टर धन के लिए भय के मनोविज्ञान का सहारा लेते है।
सरस्वती के उपासक और राष्ट्र निर्माता कहे जाने वाला शिक्षक वर्ग लक्ष्मी की परम साधना में रत देखा जा सकता है। अगर नेताओं की बात करें तो वे परम शिक्षित की श्रेणी में आते है। क्योंकि उनके पास वह दिव्य ज्ञान है जिसके द्वारा भ्रष्टाचार की संस्कृति अनवरत प्रगति के पथ पर नित नए कीर्तिमान स्थापित कर राही है। सत्य ओर ईमान की बात करने वालो को आज भी सुकरात की तरह जहर का प्याला पिने को मजबूर है या फिर हरिश्चन्द्र की तरह अपनी औलाद के लिए दो गज कफन के लिए भी बेबस है।
आज अपने को शिक्षित कहने वाला प्रत्येक व्यक्ति भ्रष्टाचार को किसी न किसी रूप में मान्यता दे रहा है । भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी निर्णायक संघर्ष तबतक परवान नहीं चढ़ सकता,जबतक जात और धर्म के नाम पर खांचों में विभक्त रहिंगे। भ्रष्टाचार का सीधा और सपाट अर्थ है भ्रष्टा का अचार यानि टट्टी .
शनिवार, 17 जुलाई 2010
11:44 pm
विवेक दत्त मथुरिया
1 comment
Related Posts:
महंगाई मतलब सरकारी कृतज्ञतामहंगाई क्या है ? चुनावी लंगरों की हलुआ,पूरी का हिसाब है। जिसके लिए नेता जी को और उनकी पार्टी को मजबूरन व्यापारी और उद्योगपतियों से आर्थिक सहयोग लेना पड़ा। यह महंगाई कुछ और नहीं कार्यकर्ताओं की चुनावी हलुआ, पूरी की ब्याज सहित… Read More
मेरे देश की संसदकिसी ने मुझसे पूछा-मेरे देश की संसद कैसी हैमैंने कहा-एक दम गोल, शून्य के जैसी है । … Read More
हम आपकी नज़र में युद्ध अपराधी हैं… Read More
pra… Read More
विद्या ददाति भ्रष्टंअब तक सुना था कि विद्या विनय सिखाती है। लेकिन मौजूदा समय में यह बात पलट चुकी है। आज की विद्या भ्रष्ट बनाती है। ऐसे प्रमाणों से रोज अखबार भरे रहते है। देश में जितने भी बड़े घोटाले अब तक हुए है , उन सब में उच्च शिक्षा प्राप्त ल… Read More
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
भाई मथुरिया जी, आपकी तीखी टिप्पणियां ही आपके मन में छिपे पत्रकार के जीवित होने का प्रमाण हैं। आप इसी तरह अपनी टिप्पणियों से समाज का आपरेशन करते रहें। मेरी शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंअशोक मिश्र