मंगलवार, 28 सितंबर 2010
2:10 am
विवेक दत्त मथुरिया
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ये लोकतंत्र नहीं, लूटतंत्र है जनाब!… Read More
मेरे गीत है न प्यार के ...मेरे गीत है न प्यार के, प्यार के न श्रंगार के, न मोसमी बाहर केगीत बस गाता हूँ वक्त की पुकार केवक्त क्या कह रहा, इसे पहचान लोआँख मूंद कर न कोई बात मान लोसाजिशों ने डाला आज द्वार-द्वार डेरा हैजीतता अन्धकार पिटता सबेरा हैराम गोप… Read More
नव वर्षराम गोपाल मथुरियानव वर्ष नये वर्ष के स्वागत में कवि नूतन राग सुनाओ विश्व-विषमता के आगन में समता रस बरसाओ बहुत गा चुके गीत आज तक चाँद ,सितारों के ऊषा संध्या रजनी ,सूरज के झूठे प्यारों के पावस में उगते इंद्रधनु के सतरंगी तारों … Read More
उनका देश-विवेक दत्त मथुरिया यह देश किसका है?उनका, आपका या फिर हम सबकायह देश उन्हीं का हैऔर इसका पूरा विधान भी उनका हैव्यवस्था परिवर्तन की बातया जनहित में उसकी आलोचनाअभिव्यक्ति नहीं, देशद्रोह हैयह गलती भगत सिंह, आजाद, बोस ने कीऔर यही … Read More
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