मंगलवार, 29 जून 2010

किसी ने मुझसे पूछा-मेरे देश की संसद कैसी हैमैंने कहा-एक दम गोल, शून्य के जैसी है...

सोमवार, 28 जून 2010

धर्म यानि कल्याण। हाँ ,यही सारभूत अर्थ है धर्म का। घर्म के इस आशय से शायद ही किसी कि असहमति हो। धर्म मनुष्य के जीवन पथ पर उस फल व् छायादार वृक्ष की तरह है जो जीवन संघर्ष से थके मनुष्य को आश्रय देता है और फिर आगे बढ़ने की ऊर्जा प्रदान करता है। इसलिए हमारे धर्म को सनातन धर्म कहा गया है। भारतीय सनातन धर्म की बुनियाद त्याग, तपस्या और सेवा जैसे सनातन तत्वों पर टिकी है। लेकिन वर्तमान भौतिकता का प्रभाव इसे खंडित करता नजर आ रहा है। धर्म उस कला या विद्या...
जब से कोठियों में चलने लगे हैं कोठे ।तब से वैश्याएँ बेरोजगार हो गयी...
हाट लगा है धर्म का, भक्त जनन को छूट ।जान माल सब है यहा रे लूट सके तो लूट...

मंगलवार, 15 जून 2010

दादू दावा मत करे, बिन दावे दिन काट । कितने ही सोदा कर गए , ये सोदा गर की हाट॥...

Unordered List

Sample Text

Popular Posts

Text Widget