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रविवार, 23 फ़रवरी 2014
12:53 am
विवेक दत्त मथुरिया
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विकास यात्रा
----------------
आओ जरा देखें
मानव की विकास यात्रा का सफर
कहां से शुरू हुआ
कहां तक पहुंचा
कहते हैं, आदि मानव से शुरू हुआ
आ पहुंचा है श्रेष्ठ मानव तक
एक विश्लेषण तो करें
तब में और अब में
पहले हमारे पास भाषा नहीं थी
अब भाषा होने पर भी गंूगे हैं
पहले हमारे पास कपड़े नहीं थे
अब कपड़े होने पर भी नंगे हैं
तब कोई कल्चर नहीं थी
अब कल्चर होने पर भी
अनकल्चरड है
तब सेंस नहीं था
अब सेंस होने पर भी नानसेंस हैं
पहले खूंखर जानवरों से लडते थे
अब आदमी से ही डरते हैं
पहले हम निश्चल आदि मानव थे
अब शैतान श्रेष्ठ मानव हैं
वो बचपन था
ये बुढ़ापा है
-----------------@ विवेक दत्त मथुरिया
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आओ जरा देखें
मानव की विकास यात्रा का सफर
कहां से शुरू हुआ
कहां तक पहुंचा
कहते हैं, आदि मानव से शुरू हुआ
आ पहुंचा है श्रेष्ठ मानव तक
एक विश्लेषण तो करें
तब में और अब में
पहले हमारे पास भाषा नहीं थी
अब भाषा होने पर भी गंूगे हैं
पहले हमारे पास कपड़े नहीं थे
अब कपड़े होने पर भी नंगे हैं
तब कोई कल्चर नहीं थी
अब कल्चर होने पर भी
अनकल्चरड है
तब सेंस नहीं था
अब सेंस होने पर भी नानसेंस हैं
पहले खूंखर जानवरों से लडते थे
अब आदमी से ही डरते हैं
पहले हम निश्चल आदि मानव थे
अब शैतान श्रेष्ठ मानव हैं
वो बचपन था
ये बुढ़ापा है
-----------------@ विवेक दत्त मथुरिया
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