फक्कड़नामा
आई मौज फकीर की दिया झोपड़ा फूंक
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मंगलवार, 29 जून 2010
3:25 am
विवेक दत्त मथुरिया
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मेरे देश की संसद
किसी ने मुझसे पूछा-
मेरे देश की संसद कैसी है
मैंने कहा-एक दम गोल,
शून्य के जैसी है ।
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मेरे देश की संसद
धर्म का गोरघधंधा
वैश्याएँ बेरोजगार हो गयी
हाट लगा है धर्म का
बिन दावे दिन काट
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